भावभीनी वंदना भगवन चरणों में चढ़ाएं ।
शुद्ध ज्योतिर्मय निरामय, रूप अपने आप पाएं ॥
ज्ञान से निज को निहारे, दृष्टि से निज को निखारे ।
आचरण की उर्वरा में, लक्ष्य तरुवर लहलहाएं ॥ १ ॥
सत्य में आस्था अचल हो , चित संशय से न छल हो |
सिद्ध कर आत्मानुशासन, विजय का संगान गाये ॥ २ ॥
बिंदु भी हम सिंधु भी है , भक्त भी भगवान भी है ।
छिन्न कर सब ग्रंथियों को, शुद्ध चेतन को जगाएँ ॥ ३ ॥
धर्म है समता हमारा, कर्म समतामय हमारा ।
साम्य योगी बंद ह्रदय में, श्रोत समता का बहायें ॥ ४ ॥
शुद्ध ज्योतिर्मय निरामय, रूप अपने आप पाएं ॥
ज्ञान से निज को निहारे, दृष्टि से निज को निखारे ।
आचरण की उर्वरा में, लक्ष्य तरुवर लहलहाएं ॥ १ ॥
सत्य में आस्था अचल हो , चित संशय से न छल हो |
सिद्ध कर आत्मानुशासन, विजय का संगान गाये ॥ २ ॥
बिंदु भी हम सिंधु भी है , भक्त भी भगवान भी है ।
छिन्न कर सब ग्रंथियों को, शुद्ध चेतन को जगाएँ ॥ ३ ॥
धर्म है समता हमारा, कर्म समतामय हमारा ।
साम्य योगी बंद ह्रदय में, श्रोत समता का बहायें ॥ ४ ॥
I am proud to be a jain
ReplyDelete:)
DeleteThx to this
ReplyDeleteYour Welcome :)
DeleteJai jinendra!!
ReplyDeleteJai Jinendra
Deleteअति सुन्दर लय हैं, आभार
ReplyDeleteWe are proud on jain and Jainism
ReplyDeleteOm Arham
DeleteOm Arham
ReplyDeleteAppreciate your effort on digital presence of Jainism principles, mantra and geets Jain assets.. good to hear this Vandana.. keep it up.
ReplyDeleteThank you so much for your appreciation. This really motivates us.
DeleteProud to be a Jain :) :)
ReplyDeleteOm haram
ReplyDeleteOm arham
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