1. माँ से बढकर कोई महान नही है।
2. पिता से बढकर कोई मार्गदर्शक नही है।
3. गुरु से बढकर कोई ग्यानी नही है।
4.भाई से बढकर कोई भरोसेमंद नही है।
5. बहन से बढकर कोई रिश्ता नही है।
6. पत्नि से बढकर कोई जीवन साथी नही है।
7. पुत्र से बढकर कोई सहारा नही है।
8. पुत्री से बढकर कोई सेवा करने वाला नही है।
9. मित्रता से बढकर कोई प्रेम नही है।
बस एक ही वजह है इन रिश्तो के बिगडने की ''व्यक्तिगत स्वार्थ''।
''व्यक्तिगत स्वार्थ'' से उपर उठकर सम्बन्धो को नयी ''दिशा'' देकर अपने जीवन को उच्च, सरल व धन्य बनाओ।
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