उत्तमक्षमा

अहंकार का भाव ना रखूँ,
नहीं किसी पर क्रोध करूँ,
देख दूसरों की बढ़ती को,
कभी ना ईष्या भाव रखूँ,
रहे भावना ऐसी मेरी,
सरल सत्य व्यवहार करूँ,
बने जहाँ तक इस जीवन में,
औरों का उपकार करूँ..........
जिस दिन से मैं आपको जानता हूँ,
उस दिन से आज तक मन से,
वचन से,काय से जितनी भी गल्तियाँ हुई हो,
उन गल्तियों के लिये सहृदय से
क्षमाप्रार्थी हूँ और क्षमा माँगता हूँ।
॥ उत्तमक्षमा ॥

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