आज का इन्सान


           नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात!
           बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात!!
अब तो अपना खून भी, करने लगा कमाल!
बोझ समझ माँ-बाप को, घर से रहा निकाल!!
           पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज!
           कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज!!
भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास!
बहन पराई हो गयी, साली खासमखास!!
           मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश!
           बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश!!
बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान!
पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान!!
           पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग!
           मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग!!
फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर!
पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर!!
           पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप! 
           भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप!!

                                                                                                                    श्री रघुविंद्र यादव (हरियाणा )
                                                                                                                    पुस्तक: नागफनी के फूल (2011)

2 comments:

  1. ये दोहे हरियाणा के प्रसिद्ध दोहाकार श्री रघुविंद्र यादव जी के हैं। जो 2011 में उनकी पुस्तक "नागफनी के फूल" में प्रकाशित हो चुके हैं।
    आप को एक सभ्य नागरिक की तरह इनके नीचे उनका नाम देना चाहिए। वैसे भी कॉपीराइट एक्ट के तहत बिना नाम लगाए किसी की रचना प्रकाशित करना अपराध है।

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    1. I apologize for inconvenience caused to you.
      This was published as it was received. I will add author name below of this. Thanks for letting me out this info.

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